
आज कल आप सभी ने केरला स्टोरी के बढ़ते बवाल के बारे में पड़ा या देखा होगा। हाल फिलहाल में बढ़ते बवाल में और इस फिल्म की बढ़ती मांग ने सभी के अंदर जिज्ञासा पैदा करदी की आखिर ये फिल्म है कैसी ! और इसमें उठाये दावे केरला की असली तस्सवीर दर्शाते है या फिर यह धर्म के नाम पे बढ़ते विवादों में उलझाने और उससे फायदा उठाने की एक नागवार कोशिश ही रह जाती है । दूसरी तरफ आयी एक और फिल्म ‘2018’ Everyone Is A Hero भी केरला की कहानी है aur 2018 में केरल में आई भयानक बाढ़ त्रासदी के बारे में है ,
‘The Kerala Story’ फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी तीन लड़कियों की है जो नर्स का कोर्स करने एक बड़े कॉलेज में आयी है। और कैसे उनका ब्रेन वाश कर के उन्हें अपना धर्म बदलने में मजबूर किया जाता है , उनके पास कोई चारा नहीं छोड़ा जाता और किस तरह उनके हालात बद से बदतर हो जाते है। इस काम को अंजाम देने में पूरा गिरोह शामिल होता है। जो पहले आपकी आस्था को तोड़ता है, और फिर आपका किसी एकमात्र धर्म की तरफ आकर्षण पैदा करता है। और फिर आपको दूसरे आंतकवादी देशों में भेजा जाता है। जहां आप के पास दो ही विकल्प होते है या तो ‘सेक्स स्लेव ‘ बनने के या फिर आंतकवादी बनकर दहशत फैलाना।
फिल्म के पहले सीन्स से ही आप असहज होने लग जाते है। हालांकि फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी लाचार है और कही भी आप पूरी तरह से कहानी की आत्मा से जुड़ नहीं पाते वजह इसमें धार्मिक विरोधी डायलॉग्स की भरमार होना, जोकि ज्यादा प्रभाव पैदा नहीं करते उल्टा सही तर्क से काफी दूर ले जाते है । फिल्म में दिखाए सभी मुस्लिम किरदार सिर्फ बुरे ही दिखाई पड़ते है। और दूसरे धर्मों में विद्रोह पैदा करते है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक, आपको स्क्रीन पे हो रहे किरदारों के भाव और स्थिति के साथ जोड़ नहीं पाता । इसमें कोई दो राये नहीं की फिल्म में दिखाई गयी समस्या एक गंभीर मुद्दा है पर बोझिल और निम्नस्तर की अदाकारी से उस समस्या का प्रभाव स्क्रीन पर दिखाई नहीं पड़ता।
फिल्म में बताये गयी32,000 संख्या ने भी एक बवाल खड़ा कर दिया है , इस संख्या का कोई पुख्ता सबूत नहीं , यही वजह है जो की निर्देशक को काफी गैर जिम्मेदार दर्शाता है। इस विवाद की वजह से फिल्म की मुख्य समस्या से ध्यान हट जाता है जो की बहुत दुखदायक है।
‘2018’ Everyone Is A Hero फिल्म की कहानी
‘2018: एवरीवन इज ए हीरो’ एक भावनात्मक कहानी है , सभी बाधाओं के खिलाफ जीत की कहानी होने की उम्मीद है । जिस किसी ने भी 2018 की केरल बाढ़ को झेला है, जिसने भी इस घटना को किनारे से देखा है, उसके लिए यह एक फिल्म से बढ़कर होगी। एक तकनीकी रूप से मजबूत, अच्छी गति वाली, सोच-समझकर तैयार की गई फिल्म, 2018, एक सिनेमाई अनुभव है जिसके केरलवासी हकदार हैं। आखिर यह उनकी कहानी है।
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कहानी केरल के एक गाँव अरुविक्कुलम से शुरू होती है। हमें गाँव में रहने वाले लोग और उनका सामान्य जीवन देखने को मिलता है और कैसे बाद में बाढ़ की वजह से इनका जीवन पलट जाता है। एक प्राकृतिक आपदा को भव्य और भयानक दिखाने में vfx की मदद ली गयी है जो स्क्रीन पे बिलकुल असली लगते है , और असाह लोगो की पीड़ा को दिखाने में सफल रहते है।
दोनों फिल्मो का सन्देश
दोनो फिल्में ही केरल की कहानी बताती है। जहाँ हिंदी में बनी केरल स्टोरी हमें प्रदेश में हो रहे धर्मान्तरण के बारे सचेत करती है वही दूसरी फिल्म 2018 में घटित प्राकृतिक त्रासदी के बारे में बताती है और उन दिनों की याद दिलाती है जब केरला के सभी लोग अपने धर्म, जाती या राजनितिक झुकाव को भूल कर, संकट में फसे दूसरे लोगो के की मदद के लिए आगे आये थे| जहाँ केरल स्टोरी आपको किसी पे भी आंखमूंद कर विशवास न करने का सुझाव देती है, वही 2018 मानवीय सन्देश देती है की मानवता पर विशवास कीजिये , शायद इस फिल्म का यही सन्देश और सन्दर्भ ही इस फिल्म के महत्व को बढ़ाता है, जिससे यह फिल्म 2018 … ‘द रियल केरल स्टोरी’ के योग्य हो जाती है।