
तीन दोस्त तीन वरदान !
एक बार वीरभद्र नाम का नवयुवक जंगल से गुज़र रहा था। वह बहुत प्यासा था , और इसी कारणवश वह एक कुए के पास गया।
पर कुए में जब उसने झाँक के देखा तो वह दंग रह गया। उसमे एक खूंखार शेर , ज़हरीला सांप और एक व्यक्ति था । तीनो के तीनो मदद के लिए पुकार रहे थे।
वीरभद्र डर गया और सोचने लगा “अगर शेर ने मुझे खा लिया तो”?
या “साप ने मुझे डस लिया तो”?
लेकिन शेर ने वीरभद्र को वादा किया की वह उसे कोई हानि नहीं पहुंचाएगा इसलिए वह इससे ही बचाये।
सांप ने भी उसे ना डसने का वादा दिया। वीरभद्र ने एक लम्बी रस्सी फेंकी , जिससे पकड़ सबसे पहले शेर आया ,
और उसने कहा “यदि कभी तुम भविष्य में इस जंगल से गुजरे तो तुम मेरे घर ज़रूर आना |”
“और में तुम्हरे इस उपकार के लिए हमेशा आभारी रहूँगा।”
सांप ने भी बाहर आके वीरभद्र का धन्यवाद किया और उसने कहा की “वीरभद्र तुम एक साहसी आदमी हों, में तुमसे वादा करता हूँ की जब कभी भी तुमको मेरी ज़रूरत पड़ेगी में हाज़िर हो जाऊँगा।”….” बस तुमको मेरा नाम लेना है।”
अब बारी थी व्यक्ति की उसने भी वीरभद्र को धन्यवाद दिया और बताया की ” में पास के ही गाँव में ज़ौहरी का काम करता हूँ |”…. “और में तुम्हारा आज से पक्का दोस्त बन के रहूँगा।”….” तुम मेरे घर ज़रूर आना ।”
वीरभद्र नए दोस्त बनके खुश था। और सबको अलविदा कहने के बाद वह अपने सफर पर आगे चल पड़ा।
कुछ साल बाद वीरभद्र उसी गाँव से निकल रहा था। उसने शेर के बारे सोचा की उसने उसे अपनी गुफा में आने का निमत्रण दिया था। क्यों ना उसके घर चला जाए यह सोच के ……..वह उसकी गुफा की तरफ चल पड़ा। शेर वीरभद्र को देख कर बड़ा प्रसन्न हुआ उसने वीरभद्र को खाने के लिए फल दिए और कुछ हीरे ज़ेवरात दिए और कहा”…… यह छोटा सा तोहफा तुम्हारे दोस्त के तरफ से उम्मीद है तुमेह पसंद आएगा |
वीरभद्र तोहफा पाके खुश होगया। पर उसे नहीं पता था की वह उन हीरे ज़ेवरात का क्या करे? उसने सोचा क्यों ना मैं इसे अपने उसी ज़ौहरी दोस्त के पास ले जाऊं….. क्या पता वह इसे पिघलाकर उसे सोने के सिक्के दे दे |
वीरभद्र जब ज़ौहरी के घर पहुंचा तो जौहरी उसे देख कर बहुत खुश भी हुआ….. लेकिन उन ज़ेवरातों को देख कर चौंक भी गया, क्योंकि यह वही ज़ेवरात थे , जो उसने राजा के छोटे भाई के लिए अपने हाथों से बनाए थे | और राजा का छोटा भाई बहुत दिनों से लापता था|
राजा ने अपने छोटे भाई की खबर देने पर एक बहुत बड़ा इनाम भी रखा था ।
जौहरी ने अपनी चिंता छुपा ली और यह सोचा कि …”अगर मैं वीरभद्र के बारे में राजा को बता दूं कि उसी ने राजकुमार का कत्ल किया है तो वह मुझे बहुत बड़ा इनाम देंगे|”…
ज़ौहरी ने राजा को वीरभद्र के बारे में सूचना पहुंचा दी| राजा ने उसी वक्त अपने सिपाही ज़ौहरी के घर भेजें और वीरभद्र को बंदी बना लिया| राजा ने वीरभद्र की एक भी ना सुनी और उसे कारागृह में डाल दिया|
वीरभद्र कारागृह में परेशान और असहाय बैठा था | तभी उसे अपने दोस्त सांप की वह बात याद आई जिसमें उसने कहा था ….”मुझे किसी भी परेशानी में याद करने को”….. वीरभद्र ने बिना कोई समय गवाएं सांप को याद किया और सांप अपने कई दोस्तों के साथ वीरभद्र के पास पहुंच गया| उसने और उसके साथियों ने सभी सैनिकों को डस कर बेहोश कर दिया और वीरभद्र को उस कारागृह से आजाद कराया | वीरभद्र ने सांप का हृदय से धन्यवाद किया और ज़ौहरी के छल कपट को मन ही मन कोसा |