
यह कहानी है राजकोट, गुजरात में स्थित अंग्रेजी स्कूल ‘अल्फ्रेड हाई’ की। स्कूल का एक बड़ा मैदान था। हर रोज़ की तरह बच्चे इधर-उधर भाग रहे थे। कुछ फुटबॉल खेल रहे थे।
एक बच्चा चिल्लाया, “देखो!” बच्चों ने एक अंग्रेज को साइकिल चलाते देखा। उसके पीछे एक चपरासी था जिसे सवार के साथ तालमेल बिठाने के लिए दौड़ना पड़ा। जैसे ही वे स्कूल परिसर में दाखिल हुए, प्रिंसिपल अतिथि को लेने के लिए बाहर आए।
उस व्यक्ति ने प्रिंसिपल से हाथ मिलाया और दोनों अंदर चले गए। किसी ने फुसफुसाया, “वह स्कूल इंस्पेक्टर, मिस्टर विलियम हैं।” लड़के घबराए हुए थे। वे इंस्पेक्शन से डरते थे। तभी स्कूल की घंटी बजी। यह सभी छात्रों के लिए अपनी कक्षाओं में जाने का संकेत था।
“मैं चारों ओर जाना चाहता हूं और देखना चाहता हूं कि लड़कों ने क्या सीखा है,” मिस्टर विलियम ” ने तेज गति से चलते हुए कहा। प्रिंसिपल सबसे प्रतिभाशाली छात्रों के साथ कक्षा की ओर चलने लगे। लेकिन इंस्पेक्टर विलियम ने उनेह रोका, “आप अपना काम करें। मुझे अपना रास्ता मिल जाएगा।
मिस्टर विलियम ने पहली कक्षा में प्रवेश किया। छात्र अपने पैरों पर खड़े हो गए और एक स्वर में उनका अभिवादन किया, “गुड मॉर्निंग, सर।”
“क्या चल रहा है?” मिस्टर विलियम ने शिक्षक से पूछा।
“यह अंग्रेजी की कक्षा है, सर,” शिक्षक ने उत्तर दिया।
“लड़कों, मैं तुम्हें एक डिक्टेशन टेस्ट(DictationTest) देने जा रहा हूँ। अपनी स्लेट और चाक बाहर निकालो,” मिस्टर विलियम ने कहा। लड़कों ने तुरंत स्लेट निकाली और उसकी ओर बड़े ध्यान से देखा। मिस्टर विलियम ने दस शब्द बोलकर सुनाए।
अंग्रेजी का शिक्षक घबरा गया । यदि लड़कों ने बहुत अधिक गलतियाँ कीं तो उसे ही दोष दिया जाएगा। जैसे ही लड़के स्लेट पर शब्द लिखने में व्यस्त हो गए, वह कक्षा में घूमने लगा। शिक्षक एक डेस्क पर रुक गया। मोहनदास नाम का एक लड़का लिख रहा था, स्पेलिंग ठीक करने की कोशिश कर रहा था।
अंग्रेज़ी के शिक्षक ने उस शब्द को देखा जो उसने अभी लिखा था। वह देख सकता था कि मोहनदास ने गलती की है। शिक्षक ने अपना ध्यान आकर्षित करने के लिए खांसा और अपने पैर से फर्श को थपथपाया। लेकिन मोहनदास ने ऊपर नहीं देखा। शिक्षक ने एक दो बार और कोशिश की लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
इस बीच, मिस्टर विलियम ने डिक्टेशन(Dictation) पूरा कर लिया था। लड़के उसे दिखाने के लिए खड़े थे कि उन्होंने क्या लिखा था। इंस्पेक्टर यह देखकर खुश हुआ कि ज्यादातर लड़कों ने सभी शब्दों की स्पेलिंग सही लिखी थी।
“लड़कों, तुमने अच्छा काम किया है,” मिस्टर विलियम ने कहा। अंग्रेजी के शिक्षक की ओर मुड़ते हुए उन्होंने कहा, “आपने इन बच्चों को अच्छी तरह पढ़ाया है।”
अंग्रेजी के शिक्षक ने मुस्करा के मिस्टर विलियम का धन्यवाद किया।
तभी मोहनदास अपनी स्लेट दिखाते हुए आगे बढ़े। मिस्टर विलियम ने एक नज़र डाली और भौहें चढ़ा लीं। “तुमने यह शब्द गलत लिखा हैं, मेरे बच्चे,” मिस्टर विलियम ने एक शब्द पर गौला लगाते हुए कहा। शिक्षक का चेहरा उतर गया। और मिस्टर विलियम ने मोहनदास को सही स्पेलिंग लिख कर बताएं।
“धन्यवाद, सर,” मोहनदास ने कहा, “मैं भविष्य में कड़ी मेहनत करूँगा और अपने स्पेल्लिंग्स में सुधार लाऊंगा ।”
मिस्टर विलियम ने मोहनदास की पीठ थपथपाई और अगली कक्षा में चले गए। लेकिन अंग्रेजी के शिक्षक गुस्से में थे। “मुझे खेद है, सर,” मोहनदास ने कहा। “मैं उस शब्द की स्पेल्लिंग्स नहीं जानता था।”
शिक्षक ने चिढ़ते स्वर में कहा : “तुम देख सकते थे कि तुम्हरे बगल में बैठे लड़के ने क्या लिखा था। उस बच्चे ने सभी शब्दों को सही लिखा था। मोहनदास ने नीचे देखा। “मैंने फर्श पर पैरों से आवाज़ करके तुम्हारा ध्यान खींचने की कोशिश भी की , अगर तुम देख लेते मेरी तरफ तो मैं तुमेह सही स्पेल्लिंग्स बता देता , और तुमेह मिस्टर विलियम के सामने शर्मिंदा ना होना पड़ता । लेकिन तुमने ध्यान ही नहीं दिया, ”शिक्षक ने कहा।
जब मोहनदास घर गया तो उसने अपनी माँ को बताया कि स्कूल में क्या हुआ था।
“तुमने जवाब की नकल न करके सही काम किया,” उसकी माँ ने कहा, “अगर तुम्हरी जगह राजा हरिश्चंद्र होते तो वह भी यही काम करते।”
मोहनदास मुस्कराए। उसे ‘राजा हरिश्चंद्र’ का नाटक बहुत पसंद था।
यह युवा मोहनदास कर्मचंद गांधी की कहानी है, जो बाद में महात्मा गांधी के नाम से प्रसिद्ध हुए।