सपनों की या ……..असली की दुनिया।

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यह कहानी है ख़याली नाम के एक युवक की। वह बेहद आलसी था और हमेशा अपने सपनों में खोया रहता। जिस चीज़ को ख़त्म करने में चंद मिनट लगते वह उसी काम को करने में घंटे लगा देता। इसी कारण उसे घर और काम पे हमेशा डांट पड़ती थी। कई बार तो वह अपने सपनों में इतना खो जाता था की, भोजन करना भी भूल जाता।


एक दिन की बात है की ख़याली , हर रोज़ की तरह अपने काम को जाने के लिए तैयार हो रहा था । उसने अपना खाने का डिब्बा और दिन के खर्चे के लिए कुछ पैसे अपने बेग में रखे । फिर अपने कपड़ें प्रेस किये।

ख़याली की एक और आदत थी की वह रोज़ अपना राशिफल (horoscope) ज़रूर देखता। मानो यह चीज़ उसके दिनचर्या में ऐसे घुल गयी थी जैसे चाय में शक्कर। आज भी उसने अपना राशिफल देखा, उसमे लिखा था की…….. ख़याली के आज का दिन उसके जीवन का बहुत महतवपूर्ण दिन हैं। आज उसके जीवन में कुछ ऐसा घटेगा, जिससे जीवन भर उसको लाभ मिलेगा । ख़याली अपना राशिफल देख कर बड़ा खुश हुआ। और सोचने लगा की आज उसके साथ ऐसा क्या अच्छा हो सकता है।


वह सोचने लगा: ” हो सकता है आज मालिक खुश होके उसकी तरक्की कर दें,….. या हो सकता है उसके शेयर मार्किट में लगे पैसे डबल हो जाए।”….. “या फिर आज किसी लड़की के रिश्ते का समाचार आ जाये।” वाह! भाई आज तो मज़ा आ जायेगा|”…….” बस किसी तरह पता चल जाए की क्या होने वाला हैं।

” ख़याली बड़ा उत्सुक होने लगा और इसी उधेड़ बुन में उसे पता ही न चला की कब समय निकल गया, और काम पे जाने के लिए उसे देर हो गयी। वह घबरा गया और बोला :” अरे बाप रे फिर से देर हो गयी। आज लगातार तीसरा दिन होगा…. की उसे काम पे जाने में देर हो गई । कहीं उसे मालिक काम से ना निकल दे। उसने झटपट कपडे पहने और बिना खाये घर से निकल गया।

ख़याली घर से निकल तो गया था लेकिन उसके मन में अभी भी यही ख्याल आ रहा था की आज क्या हो सकता है , उसने काम पे जाने के लिए अपनी रोज़ की बस ली… जिसने उसे अपनी तय दुरी पर उतार दिया। अब यहाँ से ख़याली को पैदल ही जाना था।


पैदल चलते भी ख़याली अपने राशिफल में लिखे घटना के बारे में सोचता रहा की अचानक उसका पैर किसी चीज़ से टकराया। उसने संभल के देखा तो ज़मीन पर एक चमकती चीज़ दिखी। हल्का झुक के ख़याली ने देखा तो वह चमकती चीज़ एक अंगूठी थी, जो देखने में काफी सुन्दर थी।

ख़याली ने बोला: “अरे वाह! यह तो बहुत सुन्दर अंगूठी है और काफी कीमती भी लग रही है। “……. ” कही यही तो वह घटना नहीं जिसके बारे में आज मेरे राशिफल में लिखा था। ख़याली ने अंगूठी को ऊपर नीचे, घुमा घुमा के, हर तरफ से देखा, “अरे यह तो असली है !”…..”और काफी भारी है! , और ऊपर से इसपर यह हीरा, ….कितना सुन्दर लग रहा है।”

उसने तुरंत वह अंगूठी अपने बेग में रख ली और नज़दीक के ही एक ढाबे में खाने को चला गया। उसे भूख भी लग रही थी। पर अब उसे काम से देरी होने की कोई चिंता नहीं हो रही थी। वह अब पूर्ण रूप से बेफिक्र हो गया था।
उसने ढाबे पर एक टेबल पर बैठ कर अपना बैग दायी तरफ रख दिया और नाश्ते के लिए कह दिया।

वह मन ही मन ख़ुशी ख़ुशी सोचने लगा की ” ज़रूर यह अंगूठी लाखों की होगी ।

” इसको बेच कर अच्छे खासे पैसे मिल जाएंगे।”

” और उन पैसो से में कोई छोटा मोटा काम शुरू करूँगा। ……..”पर क्या काम खोलूंगा……. ” हाँ! मैं खिलोनो की दूकान खोलूंगा और खूब पैसे कमाऊंगा।”

“आजकल खिलोनो की दूकान खूब चलती है।”

” फिर उन पैसों से अच्छा और बड़ा घर लूंगा। और फिर एक बड़ी गाड़ी भी।”…. “पर गाड़ी में नहीं चलाऊंगा।”

” आखिर आमिर आदमी भी क्या खुद, थोड़ी ही गाड़ी चलाते है।”….” में ड्राइवर रखूँगा, उससे लोगो पर रौब पड़ता है।”

” माँ बापू को भी शहर बुला लूंगा, उनसे कहूंगा की मेरे लिए अच्छी पत्नी ढूंढे|” ….” वैसे हमारी फैक्ट्री में जो राधा है वो भी बहुत सुन्दर है , मैं तो उसी से शादी करूँगा।”….. ” माँ बापू से कह दूंगा की उसके घर वालों से बात करें।”

” राधा के घर वालों को तो कोई दिक्कत नहीं होगी , आखिर इतना अमीर दामाद मिला है उनको …..और मुझे नहीं लगता राधा को भी कोई दिक्कत होने वाली है।”

” हां ! पर में राधा को कह दूंगा की तुमेह शादी के बाद किसी भी छोटी मोटी जगह, काम करने की कोई ज़रूरत नहीं।”
“इसके लिए में बॉस से बात करूँगा ! अरे बात क्या करनी उस घमंडी से, बात बात पर डांटता रहता है।”….” समय पर तन्खाह (salary) भी नहीं देता।”…. “आज ही जा कर उससे बात करता हूँ !घमंडी होगा अपने घर पर |” ……”कह दूंगा ! कि आज से में और राधा उसकी गुलामी नहीं करेंगे।”..यह कह के ख़याली खाने से उठने लगा और चल दिया।


चलते चलते और अपने सपनों में खोया ख़याली , अब ढाबे से थोड़ी दूर आ गया था| वह अभी भी मन में बड़बड़ा रहा था ” आज राधा को अपने मन की बात भी बता दूंगा।”….” और फिर शादी की डेट भी फिक्स करलेंगे।”….” शादी के बाद मैं उसे बहुत खुश रखूँगा। उससे कभी झूठ नहीं बोलूंगा। उसे अपने सारे राज़ बता दूंगा।”…….” उसे यह भी बता दूंगा की कैसे में एक अंगूठी और अपनी अक्लमंदी से , आज इतना सफल बना हूँ।” …. और फिर में यह अंगूठी भी उसे दे दूंगा।”…. अंगूठी….अंगूठी|


अचानक ख़याली का सपना टुटा और वह अपनी जेब टटोलने लगा की शायद उसमे से अंगूठी मिल जाए।

फिर उसे याद आया की अंगूठी तो उसने बैग में रखी है और बैग तो वह ढाबे पर भूल आया। वह भाग के ढाबे पर गया। और उस टेबल पर पहुँच गया जहाँ वह बैठा था |
लेकिन वहाँ कोई बैग नहीं था। उसने तुंरत ढाबे के मालिक को बुलाया उसे अपने बैग के लिए पूछा पर उसे यहाँ पर किसी बैग के बारे में नहीं पता था | न ही वहां काम करने वाले किसी नौकर को इसके बारे कोई जानकारी थी। बल्कि ढाबे के मालिक ने तो ख़याली को वहां लगे बोर्ड पर लिखे वाक्य भी पढ़ कर सुनाये। जिसपे लिखा था की…….

“कृपया करके अपने सामान का ध्यान रखे , उसके खो जाने पर हमारी कोई ज़िम्मेदार नहीं। ” लेकिन ख़याली तो अपने खयालो में खोया हुआ था उसने तो यह बोर्ड भी नज़रअंदाज़ कर दिया था।

ख़याली के सारे सपने चकनाचूर हो गए। बैग में पड़े उसके पैसे भी चोरी हो गए थे। पुलिस के पास जा के भी वह क्या कहता।

मुंह लटकाये हुए ख्याली अपने काम पर पहुंचा। देर से आने पर बॉस ने ख्याली को खरी खोटी सुनाई और फिर उसे नौकरी से भी निकल दिया। वही पास में खड़ी राधा भी ख़याली पर हॅसने लगी। लेकिन ख़याली को आज बहुत बड़ा सबक मिला था।


उसने अपने आपको बदलने की ठान ली……. और किसी भी काम को पूरी एकाग्रता से करने की कसम खाई।

और ऐसे ही कुछ साल बीत गए | ख़याली अब बिलकुल बदल चूका था | वह बहुत मेहनती आदमी बन चूका था। । उसकी एकाग्रता की हर जगह तारीफ होने लगी , और देखते ही देखते ख़याली एक सफल और कामयाब आदमी बन गया। शायद राशिफल में जो लिखा था वह सच ही होगा की

…..उस घटना से जो सीख ख़याली को मिली , उस सीख से उसे जीवन भर लाभ मिला।

और वह सीख थी, “इस असली दुनिया में सफलता मेहनत से ही पायी जा सकती है , सपने देख कर नहीं ।”

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